रविवार, 17 अप्रैल 2011

हरी आँख का समंदर

यह स्केच १९८८ में बनाया था मैंने और इसका शीर्षक रक्खा था "हरी आँख का समंदर"...
मुझे आज भी ये आँखें बरबस अपनी ओर खींचती हैं ।

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