गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

व्यक्तित्व की विकृति


इस स्केच का नाम मैंने 'व्यक्तिव की विकृति' रक्खा है। इसको स्केच करने के बाद मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी जो शायद आप पढ़ पायें..आपकी सुविधा के लिए दुबारा उसे नीचे प्रस्तुत कर रहा...


"वह लड़ता रहा समय से -


और कभी न जीता....


इसलिए वह,


असमय ही बूढा हो गया -



लड़ते लड़ते अपना....




अर्थ ही खो गया। "

6 टिप्‍पणियां:

  1. kya kahe? ye ki pankitya chitr ko explain kar rahi hai,ya chitr panktiyo ko... bhut hi sunder...

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  2. अच्छे तरीके से दर्शया है व्यक्तित्व की विकृति को ...आपका शुक्रिया

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  3. आपकी हर कलाकृति बेहद खुबसूरत है. अर्थों को बिखेरती हुई मुझे बहुत अच्छी लगती है .आभार

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  4. गहरी सोच और खुबसूरत कला का अनूठा संगम |

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