शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

चेहरे

इस चित्र का नाम मैंने "चेहरा" रक्खा है...इसे बनाते समय शायद सर्रे के सारे चेहरे गड्ड मड्ड हो गए से लगते हैं....यही विडम्बना है की हम समझ नहीं पाते उनकी महत्ता...

4 टिप्‍पणियां:

  1. तेरा चेहरा न तेरा है

    मेरा चेहरा न मेरा है

    ये तो कुछ वक़्त के लिए

    बस ,

    हम दोनों की

    रूह पे चस्पां है !

    बढ़िया चित्र!

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  2. bahut khubsurat banaye hai....
    shayed jivan me hamara chehara bhi asli kounsa hai samajh me nahi aata hai..

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  3. manobhavon ko yatharth ke rango se khubsurati se ukera hai....sundar painting

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  4. chehre per chehre lagate hai log akser vo chehera nhi hota jo khud ko bataate hai log...

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