बुधवार, 2 मार्च 2011

व्याघ्र मन


हर व्यक्ति के भीतर एक व्याघ्र रुपी हिंसात्मक प्रवृत्ति होती है...चाहे वह सदियों में एक बार ही अपना सर उठाये..कोशिश की है उसे चित्रित करने की...कितना सफल हुआ कह नहीं सकता...पर खुद को आइना दिखाया है ताकि खुद को संवर सकूँ.

5 टिप्‍पणियां: