सुमन जी, जहां तक मेरा सीमित ज्ञान है वहाँ तक असूर्यम्पश्या का शाब्दिक अर्थ है वह जिसे सूरज की किरने छू तक न गयी हों या वह जो सूरज को देख न सके... बाणभट्ट जी...मन की गति को अंगुलियों से लय ताल में बांध कर रंगों से निखारने की कोशिश करता हूँ ...बन ही जाती है कुछ न कुछ॥
कुछ कह रही है ये तस्वीर.... जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर, बधाई ..........
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत...एक नयी विधा से परिचय करवाने के लिए...धन्यवाद...बाई द वे ये बनती कैसे है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लगी यह पेंटिंग !
जवाब देंहटाएंपर
असूर्यम्पश्या इस का क्या मतलब हुआ ?
सुमन जी, जहां तक मेरा सीमित ज्ञान है वहाँ तक असूर्यम्पश्या का शाब्दिक अर्थ है वह जिसे सूरज की किरने छू तक न गयी हों या वह जो सूरज को देख न सके...
जवाब देंहटाएंबाणभट्ट जी...मन की गति को अंगुलियों से लय ताल में बांध कर रंगों से निखारने की कोशिश करता हूँ ...बन ही जाती है कुछ न कुछ॥
samajhi thanks.....
जवाब देंहटाएंsoothing effect....
जवाब देंहटाएंडिजिटल पेंटिंग बहुत ही खूबसूरत दिख रही है| अग्नि सी प्रखर पर स्निग्ध ..|
जवाब देंहटाएंAmrita,main chahunga aap aartnaad aur man ki aankhein bhi dekhein....
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