सोमवार, 30 मई 2011

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ .....

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्व कार्येषु सर्वदा॥
(तीसरी प्रस्तुति )

9 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसी तश्वीर आपकी चिंतन की दिशा बताती है बहुत सुंदर बधाई

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  2. बहुत ही सुन्दर !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - अज्ञान

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  3. बस ...देखना अच्छा लग रहा है...

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