मंगलवार, 17 मई 2011

गं गणपतये नमः

मेरे स्केचेज के फेवरिट नायक गणपति ही हैं...मैंने इनपर पूरा एक सिरीज किया है...कोशिश करता हूँ एक एक कर आपके सामने लाने की.....





सोमवार, 9 मई 2011

अक्स

अक्स ही अक्स खिल उठे मेरे इस चित्रण में....इसे पुनर्प्रस्तुत कर रहा उनके लिए जिन्होंने शायद इसे न देखा हो...


मंगलवार, 3 मई 2011

'द रियल सेल्फ '




इस स्केच का नाम मैंने रक्खा था 'द रियल सेल्फ' ..इसको उल्टा पुल्टा करके देखा जा सकता.इसलिए मैंने दोनों तरफ की तस्वीर आपकी सुविधा के लिए अपलोड की है..हमारे मानस में धर्म को लेकर जो उथल पुथल है ,उसको समाहित करने की कोशिश की है इसमें हमने।


सोमवार, 25 अप्रैल 2011

द ट्रिनिटी



इस स्केच में मैंने ब्रह्मा,विष्णु एवं महेश तीनो को समाहित करने की कोशिश की है...वर्ष १९८८ में बनाये गए इस स्केच का नाम रक्खा है "द ट्रिनिटी " ।

-निहार

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

मनुष्य और सर्प

इस रेखाचित्र (स्केच) का शीर्षक मैंने रक्खा है " मनुष्य और सर्प" ...शायद हमारे मन के भीतर के "दर्प" को यह प्रतिबिंबित करता है...फन काढ़े हुए हमारा 'दर्प"...जो हमारे भीतर पल रहा बन कर "सर्प"।

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

परिवार

वर्ष १९८८ में एक 'परिवार' की परिकल्पना को मैंने यूँ चित्रित किया था...