यह स्केच अभी हाल में ही मैंने खींचा था...श्वेत श्याम स्केच के माध्यम से अपनी सोच को प्रगट करना मुझे ज्यादा भाता है...सफल कहाँ तक होता हूँ ,मैं कह नहीं सकता .
हर व्यक्ति के भीतर एक व्याघ्र रुपी हिंसात्मक प्रवृत्ति होती है...चाहे वह सदियों में एक बार ही अपना सर उठाये..कोशिश की है उसे चित्रित करने की...कितना सफल हुआ कह नहीं सकता...पर खुद को आइना दिखाया है ताकि खुद को संवर सकूँ.