बुधवार, 16 मार्च 2011

तेरा चेहरा यूँ नज़र आये

यह स्केच अभी हाल में ही मैंने खींचा था...श्वेत श्याम स्केच के माध्यम से अपनी सोच को प्रगट करना मुझे ज्यादा भाता है...सफल कहाँ तक होता हूँ ,मैं कह नहीं सकता .

शुक्रवार, 4 मार्च 2011

देवी

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता...
नारी तुम केवल श्रद्धा हो....
मेरी श्रद्धा के पुष्प सम्पूर्ण नारी जाति को समर्पित।

बुधवार, 2 मार्च 2011

व्याघ्र मन


हर व्यक्ति के भीतर एक व्याघ्र रुपी हिंसात्मक प्रवृत्ति होती है...चाहे वह सदियों में एक बार ही अपना सर उठाये..कोशिश की है उसे चित्रित करने की...कितना सफल हुआ कह नहीं सकता...पर खुद को आइना दिखाया है ताकि खुद को संवर सकूँ.